कहा भी जाता है कि दिल्ली में कोई दिल्ली का नहीं है। यहां आपको बंगाली, मलयाली, तमिल, कश्मीरी, पूर्वांचली सब मिल जाएंगे। मलयालम, तमिल और बंगाली बोलनेवाले लोगों की संख्या में 2001 से 2011 तक खास बदलाव नहीं आया है। वहीं पूर्वांचलियों की दिल्ली में जनसंख्या तेजी से बढ़ी है।
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